Thursday, February 16, 2012

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नाम रेलवे का, पैसा जनता का और रोजाना चालीस लाख रुपये डकार रहे हैं चाय वाले

Posted: 16 Feb 2012 10:20 AM PST


रेल यात्रा के दौरान सुबह-सुबह चाय पीने का जो मज़ा है, वह पूछिये मत मगर आपको शायद इस बात का पता नहीं है कि अदरक, इलायची की चाय बताकर बेचने वाले रेलवे के नाम पर आपकी जेब काट रहे हैं। यही नहीं, नाम रेलवे का, पैसा जनता का और रोजाना लाखों रुपये डकार रहे हैं चाय बेचने वाले।

tea hawkers in Indian railway नाम रेलवे का, पैसा जनता का और रोजाना चालीस लाख रुपये डकार रहे हैं चाय वाले

इस मामले में न तो रेल अधिकारियों को कुछ पड़ी है और न ही आई.आर.सी.टी.सी. को। दरअसल रेलवे में खान पान का जिम्मा आई.आर.सी.टी.सी. का है। आई.आर.सी.टी.सी. के रेट कार्ड के मुताबिक 150 एम.एल. चाय की प्राइस रखी गयी है 3 रुपये मगर बाहर गांव जाने वाली गाड़ियों मंे और प्लेटफार्मों पर तीन रुपये की चाय पांच रुपये में बेची जाती है।

इस तरीके से अगर रोजाना दस लाख यात्राी रेल में सफर करते हैं और सुबह शाम भी यात्रा के दौरान चाय पीते हैं तो प्रत्येक यात्राी से रोजाना रेलवे के ये चाय विक्रेता चार रुपये ज़्यादा पैसा वसूल रहे हैं। यात्राी दस लाख यात्रियों से रोजाना चालीस लाख रुपये अतिरिक्त वसूला जा रहा है।

भोजपुरी फिल्मांे के चर्चित प्रचारक शशिकांत सिंह के मुताबिक वे पिछले दिनों दादर से वाराणसी सुपर फास्ट ट्रेन पकड़ कर गये जहां रास्ते में हर स्टेशन पर लोगों से निर्धारित दर से ज़्यादा कीमत वसूली जा रही है। नासिक रोड स्टेशन पर आधा लीटर पेप्सी की प्लास्टिक बोतल का तीस रुपये वसूले गये जबकि इसकी निर्धारित दर है 22 रुपये। इसी तरह लगभग हर स्टेषन पर पानी की ठंडी बोतल 12 से 15 रुपये में ठंडा करने के नाम पर बेचा जा रहा है।

आइस्क्रीम की दर वसूली जा रही है पन्द्रह रुपये। इस बात की शिकायत करने पर चाय विक्रेता दादागिरी पर उतर आते हैं। आम आदमी भी सोचता है शिकायत करने स्टेशन मास्टर के पास जाऊंगा तो ट्रेन छूट जाएगी, इसलिए वह तीन रुपये की चाय पांच रुपये में पीकर भी कुछ नहीं कर पाता।

:- शशिकांत सिंह

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